मुजफ्फरनगर। अतिशय क्षेत्र वहलना में खेतों के बीच बना आस्था के पावन केंद्र श्री दिर्गबर जैन मंदिर की प्राकृतिक सुंदरता श्रद्धालुओं को मंदिर से जोड़ रही है। मंदिर में आस्था और प्रकृति के संगम के साथ आधुनिक सुविधाएं बाहर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को पर्यटन का अहसास कराती हैं। मंदिर की विशेष पहचान बनी भगवान पार्श्वनाथ की 31 फुट ऊंची खड़गासन मूर्ति आस्था और आकर्षक का विशेष केंद्र बनी है। मंदिर में मुजफ्फरनगर के साथ अन्य शहरों से पहुंचकर श्रद्धालु धर्मलाभ के साथ पर्यटन का लुत्फ भी लेते हैं। लगभग 175 वर्ष पूर्व बहरा नगर नाम से पहचाने जाने वाला क्षेत्र अब अतिशय क्षेत्र वहलना के नाम से प्रसिद्ध है। दिल्ली-देहरादून के बीच मुजफ्फरनगर बाईपास से पांच किलोमीटर अंदर बने श्री दिगंबर जैन मंदिर से जैन समाज के साथ अन्य समाज के लोगों की आस्था जुड़ी है। 2010 में मंदिर में स्थापित की गई प्रभु पार्श्वनाथ की विशाल मूर्ति के बाद वहां 2011 में प्रतिमा के पंचकल्याणं कार्यक्रम में वहलना गांव के साथ जनपद के अन्य क्षेत्रों से श्रद्धालु पहुंचे थे। उसके बाद से लगातार मंदिर में पार्श्वनाथ भगवान के दर्शन के साथ हरियाली से बढ़ी प्राकृतिक सुंदरता के बीच समय व्यतीत करने को लोग पहुंचते हैं। मंदिर में प्रति वर्ष दो अक्टूबर को लगने वाले बड़े मेले में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। इतना ही नहीं मंदिर में प्रसिद्ध लोगों की भी आस्था जुड़ी हुई है। मुजफ्फरनगर से गुजरने के दौरान परिवार सहित प्रसिद्ध लोग दर्शन का पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में बनी बाल वाटिका और छायादार वृक्ष के नीचे बैठकर लोगों को शांति की अनुभूति होती है। मंदिर से जुड़े पदाधिकारी बताते हैं कि दर्शन के बाद कई घंटे मंदिर में गुजारने के बाद ही यात्री श्रद्धालु अपने गंतव्य की ओर बढ़ते हैं।
आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम श्री दिगंबर जैन मंदिर